The transcript discusses the topic of Lord Ram’s death, exploring different narratives from ancient scriptures. It questions whether Ram’s death was a form of suicide or a divine act, linking it to the broader issue of superstition and blind faith in society. The narrator urges viewers to view such stories as symbolic rather than literal truths and to reject superstitions that have no place in modern society. The video emphasizes the importance of critical thinking and constitutional values over ancient myths and superstitions.
हमने कहा, “आजाद हैं हम, कोई ना छोटा, कोई ना बड़ा, मिलकर रहेंगे हम।”
नमस्कार, नमो बुड्ढे!
आप सभी देख रहे हैं जागो पांच। जागो पांच में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत और अभिनंदन। जागो पांच समय-समय पर आपके सामने ऐसी वीडियो लेकर आता है, जो अंधविश्वास और पाखंड को खत्म करने का काम करती है। इस सीरीज में, अंधविश्वास या पाखंड कैसे खत्म हो, इस पर चर्चा होती है। इस पूरी सीरीज में मैं कुछ ऐसी बातें लेकर आया हूं, जिससे वास्तविक रूप से आप अब तक परिचित नहीं हुए होंगे।
आप सभी ने सीरियलों में देखा होगा, पुस्तकों में पढ़ा होगा, लेकिन वास्तविक सच्चाई क्या है, इस पर आपने शायद ही कभी गौर किया होगा। आज मैं उसी पर बात करना चाहता हूं और आपको बताना चाहता हूं।
अचानक, गूगल पर सर्च करने के बाद एक वेबसाइट ओपन होती है, जिसमें जानकारी मिलती है कि राम की मृत्यु कैसे हुई। यह मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कहानी है, और निश्चित तौर पर यह कहानी हमारे समाज के अंधविश्वासी और पाखंडी भाइयों के लिए आंखें खोल देने वाली है। मेरी इच्छा हुई कि क्यों न मैं अपने भाइयों को इस बारे में जानकारी दूं।
कहानी का शीर्षक है: राम की मृत्यु कैसे हुई। यहां विभिन्न पुराण और ग्रंथों में उनकी मृत्यु का जिक्र किया गया है। उन्होंने समाधि लेकर अपने शरीर को त्याग दिया था।
निश्चित तौर पर यदि हम इस विषय में चर्चा करें, तो यही सामने आता है कि व्यक्ति की मृत्यु हुई होती है, चाहे वह जल समाधि से हो, धरती में समा जाए, या फिर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया जाए। अगर हम इन सभी बातों को एकत्र करें और सोचें कि यहां पर व्यक्ति का अस्तित्व खत्म हो रहा है, तो इसे हम मृत्यु कहेंगे।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु कुदरत यानी बीमारी की वजह से होती है, तो इसे सामान्य मृत्यु कहा जाता है। लेकिन अगर वह वृद्धावस्था में मरता है, तो कहा जाता है कि अब उम्र हो चली थी और वह मर गया।
लेकिन जब कोई गंगा में कूदकर अपनी जान दे देता है, तो आप उसे आम भाषा में क्या कहेंगे? कानून की भाषा में इसे क्या कहेंगे? यह चर्चा का विषय है। हमारे आंखों पर आस्था और विश्वास की पट्टी बंधी हुई है, और हम इसे खोलना ही नहीं चाहते।
आज तक आपने सुना होगा, कई प्रेमी जोड़े गंगा या गोमती में छलांग लगाकर अपनी जान दे देते हैं। इसे आत्महत्या कहा जाता है, न कि जल समाधि। तो राम ने जल समाधि क्यों ली? यह सवाल उठता है कि क्या यह आत्महत्या थी?
मैं अपनी बात नहीं कह रहा हूं, यह पुराण और ग्रंथों के ज्ञानी विद्वानों का कहना है। इस कहानी को मैंने नई दिल्ली के जाने-माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा से सुना है। यह कहानी हर jindagi.com नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है, जिसमें संविदा तिवारी नाम की एक एडिटर ने इसे लिखा है।
इस कहानी में दो तरह से राम की मृत्यु का जिक्र किया गया है। विद्वान बताते हैं कि राम की मृत्यु दो तरह से हुई, जो अलग-अलग परिस्थितियों में हुई।
पहली कहानी प्रशांत मिश्रा जी ने बताई थी, जिसमें वाल्मीकि की कुटिया का जिक्र है। जब सीता गर्भवती थीं और वाल्मीकि के आश्रम में रह रही थीं, उस समय एक बच्चा लव पैदा होता है। सीता वन में जाती हैं और जब वाल्मीकि कुटिया में वापस आते हैं, तो देखते हैं कि बच्चा गायब है।
वाल्मीकि ने घास से एक बालक का स्वरूप बना दिया, जिसे बाद में सीता ने अपना पुत्र मान लिया। राम जब अश्वमेध यज्ञ करते हैं, तो उनका घोड़ा लव-कुश पकड़ लेते हैं। अंततः राम अपने बच्चों से युद्ध करते हैं, लेकिन उन्हें पहचान नहीं पाते। राम पराजित होते हैं, और जब उन्हें पता चलता है कि ये उनके बच्चे हैं, तो सीता से मिलने की इच्छा जाहिर करते हैं।
सीता इस घटना से ग्लानि में आकर धरती में समा जाती हैं। राम भी दुखी होकर सरयू नदी में जाकर जल समाधि ले लेते हैं। इसे हम आत्महत्या कह सकते हैं।
दूसरी कहानी में बताया गया है कि राम अपना अवतार समाप्त कर रहे थे। उन्होंने अपनी अंगूठी कूं में फेंक दी और हनुमान को पाताल भेज दिया।
महाकाल आते हैं और राम को लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन लक्ष्मण उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। लक्ष्मण को देश निकाला मिल जाता है, और वह सरयू में जल समाधि ले लेते हैं। राम, दुखी होकर, सरयू में डूबकर आत्महत्या कर लेते हैं।
ये दोनों कहानियां हमारे पुराने ग्रंथों में प्रचलित हैं। इनसे यह समझा जा सकता है कि कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने आत्महत्या की या समाधि ली।
यह सवाल अब आपके सामने है कि अंधविश्वास और पाखंड कहां तक सही है।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु वर्तमान में होती है, तो उसे आत्महत्या कहा जाता है। यह कानून द्वारा अपराध है, और इसे बढ़ावा देने वाले को सजा मिलनी चाहिए।
यह वीडियो बनाने का उद्देश्य यही था कि आप अंधविश्वास और पाखंड के समंदर में गोता न लगाएं।
आप सभी बेहतर समझते होंगे कि जो चीजें प्राचीन काल में थीं, वे वर्तमान में लागू नहीं होतीं, क्योंकि अब कानून और संविधान की व्यवस्था है।
आप सभी से मेरा आग्रह है कि अंधविश्वास और पाखंड की जकड़न को खत्म करने के लिए जागो पांच चैनल को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करें। इसी के साथ, नमो बुड्ढे, जय हिंद, जय संविधान।
Summary:
The transcript discusses the topic of Lord Ram’s death, exploring different narratives from ancient scriptures. It questions whether Ram’s death was a form of suicide or a divine act, linking it to the broader issue of superstition and blind faith in society. The narrator urges viewers to view such stories as symbolic rather than literal truths and to reject superstitions that have no place in modern society. The video emphasizes the importance of critical thinking and constitutional values over ancient myths and superstitions.